महाशिवरात्रि का महत्व और इसके पीछे की पौराणिक कथा
महाशिवरात्रि भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इसे भगवान भोलेनाथ की आराधना, उपवास और रात्रि जागरण के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कथाएँ हैं, जो इस पर्व के महत्व को दर्शाती हैं।
महाशिवरात्रि का मुख्य उद्देश्य
महाशिवरात्रि आत्मशुद्धि, ईश्वरीय भक्ति और आध्यात्मिक जागरण का पर्व है। यह दिन हमें संयम, ध्यान और शिव तत्व को आत्मसात करने का संदेश देता है। इस दिन शिव भक्त उपवास रखते हैं और रातभर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे वे मोक्ष की प्राप्ति कर सकें।
महाशिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा
महाशिवरात्रि को लेकर कई मान्यताएँ प्रचलित हैं, लेकिन प्रमुख कथा के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यह शिव और शक्ति के मिलन का पर्व है, जिसे सभी भक्त उत्साहपूर्वक मनाते हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने सृष्टि के कल्याण के लिए तांडव नृत्य किया था। इस नृत्य से संपूर्ण ब्रह्मांड में ऊर्जा का संचार हुआ और यह दिन विशेष बन गया।
महाशिवरात्रि का पूजन और व्रत
इस दिन शिवलिंग का अभिषेक दूध, जल, बेलपत्र और धतूरे से किया जाता है। भक्त उपवास रखकर भगवान शिव की अराधना करते हैं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हैं। रात्रि जागरण कर शिव पुराण का पाठ किया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
