जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) के अंतर्गत डेमियन फाउंडेशन इंडिया ट्रस्टके सहयोग से नोडल कुष्ठ चिकित्सा पदाधिकारियों एवं कुष्ठ कर्मियों के लिए दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल के निर्देशानुसार सिविल सर्जन सभागार, जमशेदपुर में संपन्न हुआ।
प्रशिक्षण में राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों की भागीदारी
प्रशिक्षण के पहले दिन डेमियन फाउंडेशन, चेन्नई से कार्यक्रम पदाधिकारी श्री सोमशेखर रेड्डी और राज्य समन्वयक डॉ. गौतम कुमार ने प्रतिभागियों को कुष्ठ रोग के लक्षण, प्रकार, उपचार, दिव्यांगता रोकथाम, पुनर्वास, एवं सेल्फ केयर से संबंधित गहन जानकारी प्रदान की।इस दौरान जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ. मृत्युंजय धाउड़िया ने बताया कि कुष्ठ रोग का समय पर पहचान और इलाज करवाने से दिव्यांगता से बचा जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एमडीटी (MDT) दवाएं जिले के सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में पूरी तरह से निःशुल्क उपलब्ध हैं।
नए मरीजों की संख्या और पोषण सहायता योजना पर जानकारी
जिला कुष्ठ परामर्शी डॉ. राजीव लोचन महतो ने जानकारी दी कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 94 नए कुष्ठ रोगियों की पहचान की गई है और उन्हें निःशुल्क दवा दी जा रही है।उन्होंने यह भी बताया कि 1 अप्रैल 2025 से शुरू की गई पोषण सहायता योजना के तहत सभी नए मरीजों को ₹500 प्रति माह की दर से सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की जा रही है।
- PB (Paucibacillary) मरीजों को कुल ₹3000/-
- MB (Multibacillary) मरीजों को कुल ₹6000/- की सहायता प्रदान की जा रही है।
कुष्ठ रोग प्रबंधन, रिएक्शन और सर्जरी पर भी चर्चा
प्रशिक्षक श्री सोमशेखर रेड्डी ने कुष्ठ रोग के दौरान होने वाली रिएक्शन की मैनेजमेंट, रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी, सेकंडरी रेफरल सेंटर और सेल्फ केयर के महत्व पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि किस प्रकार रोगी को दिव्यांगता मुक्त एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
कार्यक्रम का समापन और सहयोगियों का योगदान
शिविर के अंत में डॉ. राजीव लोचन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उन्होंने इस सफल आयोजन में डेमियन फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं – दुर्योधन बागती, कामदेव बेसरा, संजय चटर्जी और नितेश कुमार के योगदान की सराहना की।
सिविल सर्जन का संदेश
सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल ने कहा:
“कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए सिर्फ कागज़ों में नहीं, बल्कि धरातल पर ईमानदारी और निष्ठा के साथ कार्य करना होगा। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”