आरएसएस की ‘सेक्युलर’ और ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाने की मांग पर झामुमो नेता कुणाल षाड़ंगी का तीखा हमला

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Jamshedpur : भारतीय संविधान की प्रस्तावना से ‘सेक्युलर’ (धर्मनिरपेक्ष) और ‘सोशलिस्ट’ (समाजवादी) शब्दों को हटाने की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की मांग पर देशभर में सियासी बवाल मच गया है। इसी क्रम में शुक्रवार को झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने जमशेदपुर परिसदन में प्रेस वार्ता कर इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने कहा, “यह सिर्फ दो शब्द हटाने की बात नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और संविधान की मूल भावना पर सीधा हमला है।” उन्होंने इसे बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और जयप्रकाश नारायण जैसे महान विचारकों का अपमान बताया।

कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को बौद्धिक दिशा संघ से मिलती है, और ऐसे में यह मांग केवल एक बयान नहीं बल्कि बीजेपी की विचारधारा की ओर इशारा करती है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या भाजपा इस विचार से सहमत है? क्या वह भारत को एक धार्मिक राष्ट्र बनाने की राह पर है?”

उन्होंने आगे कहा कि भारत की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी लोकतंत्र के रूप में रही है। “धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद हमारे संविधान की आत्मा हैं। इन्हें हटाने की बात करना भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का प्रयास है,” उन्होंने कहा।

कुणाल षाड़ंगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से इस विषय पर स्पष्ट जवाब देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा इस विषय पर चुप है, तो यह मौन समर्थन माना जाएगा, जो देश के लिए खतरनाक संकेत है।

अंत में उन्होंने स्पष्ट किया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ऐसी विचारधारा का हर स्तर पर विरोध करेगा और भारत की मूल संवैधानिक भावना की रक्षा के लिए दृढ़ता से खड़ा रहेगा।

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