साहिबगंज: जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र अंतर्गत कबूतरखोपी में बीते दिनों 21 जून 2025 को फर्जी फाइनेंस कर्मी बनकर 4 युवकों ने स्थानीय ग्रामीण महिलाओं को लोन दिलाने के नाम पर उनके बैंक खाते से पैसे निकासी व ठगी करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जहां खुद को फाइनेंस एजेंट बताने वाले चार युवकों ने ग्रामीण महिलाओं से आधार कार्ड, बैंक पासबुक, पैन कार्ड और बायोमेट्रिक फिंगर जैसी जरूरी दस्तावेज जमा करवाकर उनके बैंक खातों से हजारों रुपए उड़ा लिए और फरार हो गए। उधर मामले का खुलासा शुक्रवार को उस वक्त हुआ जब सभी लोन लेने वाली महिलाओं के बैंक खाते से पैसे की निकासी कर ली गई है तब इस मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीण महिलाओं ने उक्त फर्जी फाइनेंस कर्मी के खोजबीन करने में जुट गए। उधर ग्रामीण महिलाओं ने बताया कि उन्हें बिना गारंटी के तहत ₹50 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक का लोन देने की बात कही गई थी जहां इस लालच में आकर दर्जनों महिलाओं ने अपने दस्तावेज उन्हें सौंप दिए। वही आरोपियों ने दस्तावेज लेने के बाद कुछ महिलाओं को नकली आवेदन की रसीद भी थमा दी और कहा कि दो से तीन दिन में लोन की राशि उनके बैंक खाते में आ जाएगा लेकिन लोन तो दूर, जब महिलाएं बैंक पहुंचीं तो पता चला कि उनके खातों से रकम निकाली जा चुकी है। उधर पीड़िता महिला रूबी देवी, सरिता देवी बताती है कि “हम लोग तो सोचे कि लोन मिलेगा तो घर में काम शुरू करेंगे, बेटी के शादी में कुछ मदद मिलेगा लेकिन बाद में जब बैंक जाकर देखा तो उनके ही बैंक खाते से रुपयों की निकासी कर ली गई है। जहां इस लोन दिलाने के नाम पर फर्जी फाइनेंस कर्मियों ने किसी महिला का दस हजार तो किसी का पांच हजार व किसी का 3,400 रुपए बैंक खाते से निकल चुका था जबकि किसी भी महिला ने खुद बैंक से जाकर निकासी नहीं की थी। उधर इस लोन दिलाने के नाम पर ग्रामीण महिलाओं से की गई ठगी की घटना के बाद गांव में हड़कंप मच गया। जहां पीड़िता महिलाओं ने स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों की मदद से जिरवाबाड़ी थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उधर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। जहां ग्रामीणों की सूचना मिलने पर जिरवाबाड़ी थाना क्षेत्र की पुलिस ने कबूतरखोपी चानन गांव पहुंचकर प्रारंभिक जांच में पाया गया कि फर्जी फाइनेंस कंपनी का कोई रजिस्ट्रेशन और कोई लोकल में ऑफिस नहीं है और जिन नंबरों से बातचीत की गई, वे अब बंद हो चुके हैं। उधर इस मामले को लेकर वरीय पुलिस अधिकारियों ने कहा कि “यह सुनियोजित साइबर ठगी का मामला प्रतीत होता है। जहां आरोपियों ने ग्रामीण महिलाओं को अशिक्षा और डिजिटल जानकारी की कमी का फायदा उठाया है। वही साइबर सेल की मदद से मोबाइल लोकेशन और बैंक ट्रांजैक्शन का विश्लेषण किया जा रहा है जहां जल्द ही आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा।” हालांकि यह मामला न केवल एक आर्थिक अपराध है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की सुरक्षा और जागरूकता से जुड़ा एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है। जहां आज भी गांवों में डिजिटल साक्षरता की कमी और सरकारी योजनाओं की अपूर्ण जानकारी के चलते लोग इस तरह के फर्जीवाड़े का शिकार हो रहे हैं। उधर पुलिस प्रशासन ने लोगों से अपील किया है कि कोई भी व्यक्ति अगर लोन या सरकारी योजना के नाम पर दस्तावेज मांगता है तो उसकी जांच पड़ताल जरूर करें और शक होने पर तुरंत नजदीकी थाने को सूचित करें।
