जमशेदपुर :- एक ओर सरकार सड़क सुरक्षा और यातायात नियमों को लेकर जागरूकता अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर जमशेदपुर शहर और ग्रामीण इलाकों के बीच चलने वाली यात्री गाड़ियां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रही हैं। प्रेशर हॉर्न, ओवरलोडिंग और छत पर बैठाकर सफर कराना आम हो गया है, और हैरानी की बात यह है कि ट्रैफिक विभाग इस पर आंखें मूंदे हुए है।
शहर के अंदर तो नियमों का कुछ हद तक पालन होता दिखता है, लेकिन जैसे ही गाड़ियां ग्रामीण इलाकों से शहर की ओर आती हैं, तो नजारा बिल्कुल उलट होता है। अधिकतर प्राइवेट बसों और छोटी कमर्शियल वाहनों में प्रेशर हॉर्न का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है, जबकि यह साफ तौर पर प्रतिबंधित है। तेज आवाज वाले हॉर्न से न सिर्फ ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, बल्कि राहगीरों और अन्य चालकों को भी असुविधा हो रही है।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों से शहर आने वाली गाड़ियों में ओवरलोडिंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है। कई बार तो यात्रियों को बसों और ऑटो की छत पर बैठाकर लाया जाता है, जिससे जान जोखिम में डालने जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी के बावजूद इन गाड़ियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही, जिससे यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर जवाबदेह कौन है?
प्रमुख समस्याएं
प्रेशर हॉर्न का दुरुपयोग
गाड़ियों की ओवरलोडिंग
छत पर बैठाकर यात्रियों की ढुलाई
