जमशेदपुर। घाघीडीह केंद्रीय कारा में जेल अदालत सह चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अर्चना मिश्रा स्वयं मौजूद रहीं, जबकि रेलवे कोर्ट चाईबासा के न्यायिक दंडाधिकारी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े।

इस शिविर का मुख्य उद्देश्य उन बंदियों की पहचान करना था जिनके परिजन जमानत हेतु उपस्थित नहीं हो रहे हैं, अथवा जो आर्थिक रूप से अधिवक्ता रखने में सक्षम नहीं हैं। न्यायिक दंडाधिकारी अर्चना मिश्रा ने बंदियों से एक-एक कर मुलाकात की और उनके रहन-सहन, भोजन, न्यायिक स्थिति, परिवारिक संपर्क आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की।

जेल अदालत में कुल 5 वाद रखे गए, जिनका उसी दिन निपटारा कर दिया गया। इन मामलों से 5 बंदियों को लाभ मिला, जिसमें से 1 बंदी को तत्काल रिहाई प्रदान की गई। अन्य चार में से एक बंदी पर अन्य मामले लंबित हैं, जबकि शेष तीन बंदियों द्वारा अर्थदंड की राशि जमा न करने के कारण रिहाई संभव नहीं हो सकी।

कार्यक्रम के तहत चिकित्सा शिविर का भी आयोजन हुआ, जिसमें कारा चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा बंदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इस पहल का उद्देश्य बंदियों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल सुनिश्चित करना था। यह आयोजन बंदियों के न्यायिक अधिकारों और मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर एक संवेदनशील प्रयास माना जा रहा है।
