नागा मंदिर बेल्डीह में पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

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जमशेदपुर, 27 जून : हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी नागा मंदिर, बेल्डीह में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ निकाली गई। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आयोजित इस पर्व में हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। भगवान श्रीकृष्ण (जगन्नाथ), उनके बड़े भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को सुसज्जित रथ पर विराजमान कर पारंपरिक बाजों व मंत्रोच्चार के साथ नगर भ्रमण कराया गया।

पूजन कार्यक्रम दोपहर 3 बजे से आरंभ हुआ, जिसके उपरांत रथ यात्रा मंदिर परिसर के चारों ओर भक्तों द्वारा खींची गई। श्रद्धालु रथ की परिक्रमा करते हुए मंदिर की परिधि में भ्रमण करते हैं। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक रथ की 5 बार परिक्रमा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

5 जुलाई 2025 को आषाढ़ शुक्ल दशमी तिथि को भगवान की वापसी यात्रा (बहुड़ा यात्रा) आयोजित की जाएगी।

मंदिर प्रबंधन समिति के ट्रस्टी शशि तिवारी ने बताया कि जगन्नाथ रथ यात्रा की परंपरा उड़ीसा के पुरी से प्रारंभ हुई थी और बेल्डीह नागा मंदिर में यह परंपरा वर्ष 1936 से जारी है। प्रारंभ में उड़ीसा के साहादेव यश द्वारा नागा संन्यासी को विग्रह प्रदान किए गए थे, जिसके बाद स्व. पं. गणेश तिवारी के मार्गदर्शन में यह पर्व लगातार भव्यता से मनाया जा रहा है।

रथ यात्रा के अवसर पर बेल्डीह गोल्फ ग्राउंड में एक भव्य मेले का आयोजन भी किया गया है, जिसमें स्थानीय लोगों सहित दूर-दराज़ से आए श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ उमड़ पड़ी।

इससे पूर्व 11 जून 2025 को ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाप्रभु जगन्नाथ जी का स्नान उत्सव भी पारंपरिक विधि से मनाया गया। स्नान के बाद 15 दिनों तक भगवान के दर्शन वर्जित रहते हैं और वे तुलसी मंदिर में विश्राम करते हैं। इसे अनवसर काल कहा जाता है।

पंडित दिनेश महाराज एवं पंडित उमेश महाराज द्वारा मौसी बाड़ी में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक 12 वर्षों पर भगवान का नवकलेवर (नवीन विग्रह निर्माण) भी किया जाता है, जिसमें श्वेत नीमकाष्ठ (दारु) से नई मूर्तियाँ बनाई जाती हैं।

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