Jamshedpur : हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस (World IVF Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन 1978 में जन्मी दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी की याद में मनाया जाता है — एक ऐसा वैज्ञानिक चमत्कार, जिसने निःसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति की नई उम्मीद दी।
भारत में आज भी निःसंतानता एक मौन पीड़ा है। आंकड़ों के मुताबिक, करीब 2.75 करोड़ दंपति इस समस्या से जूझ रहे हैं। जीवनशैली में बदलाव, देर से विवाह और गर्भधारण की प्रवृत्ति, मोटापा, तनाव, प्रदूषण, पीसीओएस और एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियां इसके पीछे प्रमुख कारण हैं। इसके बावजूद, समाज में व्याप्त भ्रांतियों और सामाजिक कलंक के डर से लोग इलाज करवाने में देरी कर देते हैं।
क्या है आईवीएफ?
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन वह तकनीक है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में निषेचित किया जाता है और फिर विकसित भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल सुरक्षित है, बल्कि कई बार यह अन्य उपचारों के असफल रहने के बाद एक सटीक समाधान के रूप में सामने आती है।
बांझपन केवल महिलाओं की समस्या नहीं
यह जरूरी है कि समाज यह समझे कि बांझपन केवल महिलाओं की समस्या नहीं है। लगभग 40–50 प्रतिशत मामलों में पुरुषों में भी समस्या होती है, लेकिन सामाजिक मानसिकता के चलते सारा दोष महिलाओं पर ही मढ़ दिया जाता है। यह सोच बदलने की जरूरत है। जरूरी है कि समर्थन की बात हो, आरोपों की नहीं।
समय पर मदद लें, समाधान संभव है
यदि कोई दंपति एक वर्ष तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण में सफल नहीं हो पा रहे हैं (या 35 वर्ष से अधिक आयु में 6 महीने में भी नहीं), तो उन्हें तुरंत किसी फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। सभी मामलों में आईवीएफ की जरूरत नहीं होती — लेकिन समय पर जांच से उपचार आसान हो सकता है।
आईवीएफ को लेकर फैली हैं कई भ्रांतियां
भारत में आईवीएफ को लेकर सबसे बड़ी बाधा है गलत जानकारी। कई लोग इसे “कृत्रिम” या “अप्राकृतिक” मानते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि इससे ओवरी (अंडाशय) खाली हो जाती है या कैंसर का खतरा होता है।
लेकिन वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, ये सभी धारणाएं पूर्णतः झूठी हैं।
आईवीएफ सुरक्षित है, और इससे जन्म लेने वाले बच्चों में जन्मजात बीमारियों की संभावना सामान्य प्रसव की तरह ही होती है।
आईवीएफ: विज्ञान, करुणा और आशा का संगम
विश्व आईवीएफ दिवस सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि का जश्न नहीं है, बल्कि यह उन करोड़ों दंपतियों की उम्मीदों का प्रतीक है, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे माता-पिता बन पाएंगे।
टाटा मेन हॉस्पिटल में हमारा उद्देश्य है कि हम निःसंतानता के इलाज को सस्ती, नैतिक और करुणामयी स्वास्थ्य सेवा के रूप में हर ज़रूरतमंद तक पहुंचाएं। हमारी कोशिश है कि हर दंपति को सम्मानपूर्वक और वैज्ञानिक तरीके से परिवार बसाने का अवसर मिल सके।
