गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के अभाव में दिव्यांग वृद्ध की मौत, स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

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चार दिनों तक मदद के लिए भटकता रहा बुजुर्ग, समय पर इलाज मिलने से गई जान; ग्रामीणों में आक्रोश

Serailela : गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिव्यांग वृद्ध की इलाज के अभाव में दर्दनाक मौत ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मृतक बुजुर्ग तीन से चार दिनों से इलाज के लिए अस्पताल परिसर के आसपास भटक रहा था, लेकिन किसी ने तो गंभीरता दिखाई, ही समय पर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई। गुरुवार को वृद्ध ने ओपीडी के बाहर ही दम तोड़ दिया।

स्थानीय लोगों का आरोप: संवेदनहीन बनी रही स्वास्थ्य व्यवस्था

घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों में भारी नाराजगी देखी गई। लोगों का आरोप है कि:

  • वृद्ध लगातार अस्पताल परिसर में मौजूद था,
  • स्पष्ट रूप से बीमार और असहाय स्थिति में था,
  • इसके बावजूद चिकित्सा कर्मियों और प्रबंधन ने कोई संज्ञान नहीं लिया।

पूर्व पार्षद सचिन सिंह ने मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा:

“अगर अस्पताल प्रशासन अपनी जिम्मेदारी निभाता और समय पर उपचार करता, तो आज एक बुजुर्ग की जान नहीं जाती। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को इसकी जवाबदेही लेनी चाहिए।”

चिकित्सा पदाधिकारी ने पल्ला झाड़ा, कहा – बाहर से लाकर छोड़ा गया था वृद्ध

वहीं, गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने मौत की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा:

“वृद्ध को किसी ने अस्पताल के बाहर लाकर छोड़ दिया था। वह ओपीडी के भीतर इलाज के लिए नहीं आया।”

हालांकि स्थानीय ग्रामीणों का दावा है कि वृद्ध को चार दिनों से अस्पताल परिसर के इर्दगिर्द देखा जा रहा था, लेकिन किसी ने खाने का प्रबंध किया, ही चिकित्सा सुविधा की पहल की।

स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही पर उठे सवाल

इस घटना ने सरायकेला-खरसावां जिले की प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • क्या एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की जिम्मेदारी केवल ओपीडी के भीतर तक सीमित है?
  • जब अस्पताल परिसर में कोई बीमार और असहाय दिखे, तो क्या चिकित्सा स्टाफ को मानवीय संवेदना नहीं दिखानी चाहिए?
  • क्या “आया नहीं, इसलिए इलाज नहीं” जैसी मानसिकता से स्वास्थ्य सेवाएं संचालित होनी चाहिए?

जनाक्रोश: जांच और जवाबदेही की मांग

स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि:

  • इस मामले में लापरवाही के दोषियों पर कार्रवाई की जाए
  • अस्पतालों में निगरानी और संवेदनशीलता बढ़ाई जाए
  • विशेष रूप से बुजुर्गों, दिव्यांगों और असहायों के लिए निगरानी तंत्र तैयार किया जाए