दुमका, झारखंड : देशभर में पत्रकारों पर हो रहे हमलों और उत्पीड़न की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। कहीं पत्रकारों पर हमले किए जाते हैं, तो कहीं उनकी हत्या तक कर दी जाती है। झारखंड के दुमका जिले में भी हाल के महीनों में कई पत्रकारों पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिससे जिले के पत्रकारों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
इसी क्रम में शनिवार को दुमका के परिसदन भवन में जिले के कई पत्रकारों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें पत्रकारों पर हो रहे हमलों और झूठे मुकदमों के खिलाफ रणनीति बनाई गई। बैठक के उपरांत पत्रकारों ने एकजुट होकर परिसदन से समाहरणालय तक शांतिपूर्ण लेकिन रोषपूर्ण मार्च निकाला और जिला उपायुक्त (डीसी) अभिजीत सिन्हा को मांग पत्र सौंपा।
बैठक में उठे कई अहम मुद्दे
परिसदन में आयोजित इस बैठक में जिले के विभिन्न मीडिया संस्थानों से जुड़े पत्रकार शामिल हुए। बैठक के दौरान पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि हाल के दिनों में जिस तरह से पत्रकारों के ऊपर झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं, वह न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी कमजोर करता है।
पत्रकारों ने कहा कि सच्चाई उजागर करने और जनहित की रिपोर्टिंग करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। कई पत्रकारों ने साझा किया कि उनके खिलाफ केवल इसलिए मामले दर्ज हुए क्योंकि उन्होंने प्रशासनिक या राजनैतिक भ्रष्टाचार से संबंधित खबरें प्रकाशित की थीं।
बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई:
पत्रकार उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाई जाए
पत्रकारों की सुरक्षा के लिए स्थायी व्यवस्था हो
दर्ज झूठे और निराधार मुकदमों को तुरंत प्रभाव से समाप्त किया जाए
प्रेस क्लब भवन का शीघ्र निर्माण कराया जाए
जब तक स्थायी भवन नहीं बनता, तब तक पत्रकारों के लिए वैकल्पिक भवन की व्यवस्था हो
प्रदर्शन करते हुए पहुंचे समाहरणालय, डीसी को सौंपा मांग पत्र
बैठक के पश्चात जिले के सभी पत्रकारों ने हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर रोषपूर्ण प्रदर्शन किया और नारेबाजी करते हुए परिसदन से समाहरणालय तक मार्च किया। पत्रकारों ने प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश दिया कि अब उत्पीड़न के खिलाफ चुप नहीं बैठा जाएगा।
समाहरणालय में पत्रकारों ने उपायुक्त अभिजीत सिन्हा को 7 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा। इस मांग पत्र में जो प्रमुख बिंदु शामिल थे, वे इस प्रकार हैं:
1. पत्रकारों पर हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
2. पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए जाएं।
3. पत्रकारों पर दर्ज झूठे और आधारहीन मुकदमे तुरंत समाप्त किए जाएं।
4. ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच डीएसपी रैंक के अधिकारी द्वारा की जाए, तभी एफआईआर दर्ज हो।
5. फर्जी मुकदमे दर्ज करने या करवाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
6. प्रेस क्लब भवन के निर्माण की प्रक्रिया अविलंब शुरू की जाए।
7. स्थायी भवन बनने तक पत्रकारों के लिए वैकल्पिक भवन की व्यवस्था की जाए।
डीसी ने दिया आश्वासन, पत्रकारों को मिलेगा न्याय
जिला उपायुक्त अभिजीत सिन्हा ने पत्रकारों की सभी बातों को गंभीरता से सुना और मांग पत्र को प्रशासनिक स्तर पर विचार हेतु स्वीकार किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे। साथ ही, झूठे मुकदमों की जांच निष्पक्ष तरीके से कराए जाने का भी आश्वासन दिया।
पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए एकजुटता जरूरी
दुमका में हुई यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि प्रदेश और देशभर के पत्रकारों के लिए एक संकेत है कि अब उत्पीड़न के खिलाफ एकजुट होकर आवाज़ उठाने का समय आ गया है। यह विरोध सिर्फ किसी एक व्यक्ति या संस्थान के लिए नहीं, बल्कि पत्रकारिता की उस मूल भावना के लिए है, जो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मानी जाती है।