Ranchi : राज्य के एकमात्र अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS-Deoghar) से बेहद चौंकाने वाली और शर्मनाक तस्वीरें सामने आई हैं। एक वायरल वीडियो में एम्स की छतों से झरने की तरह पानी गिरता देखा जा सकता है, जबकि नीचे करोड़ों के मेडिकल उपकरण, कंप्यूटर, टेबल और फर्नीचर पानी में भीगकर खराब हो रहे हैं।
यह वही एम्स है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े सपनों और वादों के साथ किया था। यह गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का ड्रीम प्रोजेक्ट माना गया था और झारखंड के लाखों लोगों के लिए विश्वस्तरीय इलाज और मेडिकल शिक्षा की उम्मीद बनकर सामने आया था।
इंद्र देवता की कृपा या भ्रष्टाचार का पर्दाफाश?
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि छतों से न केवल टपकाव, बल्कि झर-झर बहता पानी सीधे उपकरणों और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर गिर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे गंगा जल से स्नान कराए जा रहे हों ये करोड़ों के उपकरण।
जेबीकेएसएस आर्मी नामक स्थानीय संगठन द्वारा जारी यह वीडियो अब सवालों के घेरे में है—
क्या भवन निर्माण में मानकों की अनदेखी की गई थी?
क्या उद्घाटन से पहले ही भवन की गुणवत्ता का ऑडिट नहीं किया गया था?
और सबसे बड़ा सवाल: इस बर्बादी का जिम्मेदार कौन है?
एक साल में ही जीर्ण-शीर्ण हालत
एम्स देवघर का उद्घाटन वर्ष 2022-23 में हुआ था। मात्र एक वर्ष के भीतर यह स्थिति सामने आना दर्शाता है कि निर्माण कार्य में भारी अनियमितता हुई है। जहां एक ओर रांची के रिम्स में जलजमाव की समस्या होती है, वहीं देवघर एम्स में छतों और दीवारों से बहता पानी पूरे सिस्टम की पोल खोल रहा है।
साफ देखा जा सकता है कि अनेक उपकरण अभी तक पैकिंग में थे, जो अब पानी से खराब हो रहे हैं। यह संकेत है कि इनका उपयोग तो दूर, उद्घाटन के बाद से अब तक चालू भी नहीं किया गया।
कौन देगा जवाब?
इस पूरी घटना ने सिर्फ निशिकांत दुबे का सपना नहीं, बल्कि झारखंड की जनता का भरोसा तोड़ा है। जिस विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधा की कल्पना की गई थी, वह अब खुद ‘आपातकालीन इलाज’ की स्थिति में आ चुकी है।
निर्माण एजेंसी कौन थी?
तकनीकी परीक्षण किसने किया?
उपकरणों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा?
और क्या यह सिर्फ एक कमरे की कहानी है, या पूरी इमारत ही इसी हाल में है?