शोहदाए कर्बला की याद में आंख में आसू लिए निकला मोहर्रम का जुलूस

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साहिबगंज: इस्लाम के पहले महिना मोहर्रम की दसवीं तारीख को योमे आशूरा कहते हैं। जहां इस दिन इराक के राजधानी बगदाद से एक सौ किलोमीटर दूर कर्बला में यह यजीद के जुल्मों का सामना करते हुए इस्लाम के आखिरी नबी मोहम्मद के प्यारे नाती हज़रत इमाम हुसैन और सभी 72 साथियों को तीन दिन तक भूखे प्यास के साथ शहीद कर दिया गया था। इस दिन अकीदतमंदों के इलाके में लब्बैक या हुसैन से फिजा गुंज उठती है। जहां दिलों में गम लिए इमाम हुसैन की याद में लोगों के आंखों में आंसू लेकर कई लोग दो दिन का रोजा रखते हुए खास इबादत भी करते हैं।उधर मोहर्रम पर्व पर मुफस्सिल थाना क्षेत्र के छोटी कोदरजन्ना गांव में मोहर्रम पर्व को शांतिपूर्वक व अच्छे विधि व्यवस्था के साथ संपन्न कराने में मुफस्सिल थाना पुलिस एवं गांव के बुद्धिजीवी मोहर्रम कमेटी के लोगों द्वारा सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया था। जहां पश्चिमी अखाड़ा में जाबीर आलम के नेतृत्व में मोहर्रम के पारंपरिक हथियार खेलने के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी। वही इमाम हज़रत हुसैन की चाहने वाले दिल में गम लिए या हुसैन के नारा लगाते हुए रविवार की देर शाम ईदगाह स्थित कर्बला में पहलाम कर मोहर्रम पर्व को संपन्न करा दिया गया। जहां जुलूस के सुरक्षा व्यवस्था में दर्जनों की संख्या में मुफस्सिल थाना के पुलिस पदाधिकारी अखिलेश सिंह, रविंद्र कुमार, अब्दुल हन्नान, दिनेश पासवान, ब्रह्मदेव यादव, फखरुद्दीन, सप्पो, कैयूम अकरम, कलाम एवं अन्य दर्जनों लोग शामिल थे।

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