बोरियो: अंचल कार्यालय के राजस्व कर्मचारी अब्दुल मोकिम के द्वारा बुजुर्ग आदिवासी समाज की महिला रंधन टुडू को पिछले 3 महीने से कार्यालय का चक्कर लगवाने का मामला सामने आया है। जहां पूरा मामला यह है कि पोआल पंचायत के बास्को गांव निवासी रंधन टुडू उम्र 60 वर्ष पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र निर्गत कराने को लेकर पिछले तीन महीने से अंचल कार्यालय में चक्कर लगा रही है। वही वृद्धा के पति सोमाय मरांडी की मृत्यु के पश्चात पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र के लिए आवेदन पत्र जमा करवाया गया था जिसके बाद से आदिवासी बुजुर्ग महिला रंधन टुडू को अंचल दरबार में दरबारी की भूमिका में बैठे राजस्व कर्मचारी अब्दुल मोकिम के द्वारा लगातार दौड़ाया जा रहा है। उधर वृद्ध महिला हर सप्ताह दो बार अंचल कार्यालय पहुंचकर अंचल कर्मियों से पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र निर्गत होने की गुहार लगा रही है, लेकिन अंचल के राजस्व कर्मचारी जांच प्रतिवेदन तैयार ही नहीं कर रहे। जहां पिछले दिनों बुजुर्ग महिला को कर्मचारी ने मजाक में मुर्गा लाने के लिए कह दिया जहां बेचारी वृद्धा फिर एक जिंदा मुर्गा लेकर अंचल दरबार भी पहुंच गईं थी हालांकि अंचल में कार्यरत कुछ ईमानदार कर्मियों ने बुजुर्ग महिला को समझा बुझाकर मुर्गा लेने से इंकार कर दिया और जल्द ही पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र निर्गत कराने का आश्वासन दिया।अगर आश्वासन देने के बाद भी वृद्धा का पारिवारिक सूची प्रमाण पत्र अब तक निर्गत नहीं किया गया है।
आदिवासी परिवारों को प्रताड़ित करना कहां तक है जायज, कब सुध लेगी सरकार
उधर इस मामले को लेकर अब पूरे अंचल क्षेत्र में चर्चा का बाजार गर्म हो चूका है। जहां लोग कह रहे हैं कि एक आदिवासी परिवार जो यहां के रैयती भी हैं और उन परिवारों को भी अब पारिवारिक सूची के नाम पर भागदौड़ कराना कहीं से जायज नहीं है। उधर कुछ लोगों ने इसे ब्रिटिश हुक़ूमत से जोड़कर बताया कि अब सूबे में सरकारी कर्मियों द्वारा यहां के मूलवासी, आदिवासी परिवारों को भी सरकारी कार्यों के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है, जो सरासर गलत है। उधर देखना दिलचस्प होगा कि उक्त मामला सामने आने के बाद जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी क्या कुछ करते हैं और ऐसे राजस्व कर्मचारी के खिलाफ क्या कुछ ठोस कार्यवाही की जाती है। जहां राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र बरहेट से सटा हुआ बोरियो प्रखंड मुख्यालय में आदिवासी समाज के परिवारों का ऐसा हाल है तो सुदूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के साथ कैसा बर्ताव किया जाता होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।