आदिवासी जन आक्रोश महारैलीः कुर्मी/महतो को जनजाति सूची में शामिल करने के विरोध में उमड़ा जनसैलाब

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Jamshedpur: साकची के आमबगान मैदान में गुरुवार को ‘आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा’ के बैनर तले आयोजित आदिवासी जन आक्रोश महारैली में जनजातीय समुदायों का विशाल जनसैलाब उमड़ पड़ा। लगभग 40 हजार से अधिक लोग पारंपरिक भेष-भूषा, वाद्य यंत्रों और औजारों के साथ एकजुट होकर सड़कों पर उतरे। इस रैली का उद्देश्य था — कुर्मी/कुरमी महतो समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने की मांग के विरोध में आवाज उठाना।

तीन मार्गों से पहुंचे प्रदर्शनकारी

महारैली में शामिल हजारों आदिवासी प्रदर्शनकारी तीन प्रमुख मार्गों से पैदल मार्च करते हुए साकची आमबगान पहुंचे —
कारनडीह–जुगसलाई–बिस्टुपुर–साकची
बिरसानगर–बारीडीह–एग्रिको–साकची
बाबा तिलका माझी मैदान बालीगुमा–डिमना चौक–मानगो–साकची

इसके बाद जुलूस साकची आमबगान से बिरसा चौक, आई हॉस्पिटल, स्ट्रेट माइल रोड, रेडक्रॉस होते हुए उपायुक्त कार्यालय पहुंचा, जहाँ प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन सौंपकर दी चेतावनी

जनजातीय संगठनों ने उपायुक्त के माध्यम से भारत सरकार, राष्ट्रपति, राज्यपाल, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में स्पष्ट कहा गया कि —

> “कुर्मी/महतो समुदाय को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की मांग पूरी तरह अवैध है। उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक जीवनशैली जनजातियों से भिन्न है। इस प्रस्ताव से आदिवासियों की अस्मिता, पहचान और संवैधानिक अधिकारों को खतरा है।”



आदिवासी नेताओं ने रखी बात

‘आदिवासी बचाओ संघर्ष मोर्चा’ के नेताओं ने कहा कि जनजातीय समाज की पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था (मानकी-मुंडा संघ, मांझी-परगना-महाल) सदियों से प्रकृति आधारित जीवनशैली का प्रतीक है।
सुरा बिरुली ने कहा —

“23 नवंबर 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया था। अब फिर से उसी मुद्दे को उठाना आदिवासी विरोधी कदम है।”

नेताओं ने मांग की कि कुर्मी/महतो को ST सूची में शामिल करने संबंधी कोई भी विधेयक झारखंड विधानसभा या लोकसभा में पेश न किया जाए, ताकि प्रकृतिवादी आदिवासियों की अस्मिता सुरक्षित रह सके।

रैली को सफल बनाने में सक्रिय रहे

रैली को सफल बनाने में दुर्गा चरण मुर्मू, सुरा बिरुली, दिनकर कच्छप, राजेश दीपक मांझी, राकेश उरांव, नन्दलाल पातर, डेमका सोय, रवि सवैया, मोहिन सिंह सरदार, उपेंद्र बानरा, ठाकुर कलुंडिया, डीबार पुरती, जेवियर कुजूर, लालमोहन जामुदा, सुनिल मुर्मू, परसो राम कर्मा, सुखलाल बिरुली, प्रेम सामड समेत कई नेताओं ने अहम भूमिका निभाई।

जनजातीय अस्मिता की एकजुट गर्जना

इस रैली के माध्यम से सभी 33 जनजातीय समुदायों — उरांव, हो, भूमिज, संथाल, मुंडा, बिरहोर, सबर, बेदिया, गोंड़, खड़िया आदि ने एक स्वर में संदेश दिया कि —

“हम अपनी पहचान, अस्मिता और पारंपरिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट हैं।”

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