रांची/जमशेदपुर।
झारखंड सरकार के स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने विधानसभा में स्वीकार किया है कि तत्कालीन विभागीय मंत्री बन्ना गुप्ता ने जान-बूझकर राहुल कुमार नामक गैर-सरकारी व्यक्ति को झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल का प्रभारी निबंधक सह सचिव नियुक्त किया था। बाद में यह साबित हुआ कि राहुल कुमार इस पद के लिए पूरी तरह अयोग्य थे।
फार्मेसी काउंसिल ने किया निबंधन रद्द
जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय के अल्पसूचित प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य विभाग ने माना कि अयोग्य पाए जाने के बाद राहुल कुमार का फार्मासिस्ट निबंधन और ट्रिब्यूनल निबंधन झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल द्वारा रद्द कर दिया गया है।
विभागीय जांच में उजागर हुई सच्चाई
विभागीय जांच रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि उस समय विभाग के पास योग्य सरकारी फार्मासिस्टों की सूची उपलब्ध थी, इसके बावजूद तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री ने उसे नज़रअंदाज कर राहुल कुमार जैसे गैर-सरकारी और अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति कर दी।
कार्रवाई पर सरकार ने साधी चुप्पी
विधायक सरयू राय ने सदन में सवाल उठाया कि –
“अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति कर झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल को कमजोर करने का षड्यंत्र रचने वाले दोषियों के विरुद्ध सरकार कब तक कार्रवाई करेगी?”
लेकिन सरकार ने इस पर चुप्पी साध ली। सरकार ने केवल यह स्वीकार किया कि अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति तत्कालीन मंत्री द्वारा की गई थी, परंतु दोषियों पर दंडात्मक कार्रवाई को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
सदन में हंगामा, सत्र स्थगित
जवाब अधूरा रहने पर सदन में भारी हंगामा हुआ और प्रश्न पर विस्तृत वाद-विवाद से पहले ही विधानसभा का सत्र स्थगित करना पड़ा।
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