सरायकेला, 1 अगस्त — सरायकेला जिले में 52 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन 100 बेड वाले अत्याधुनिक अस्पताल भवन की दीवारों में गहरी दरारें आने लगी हैं, जिससे प्रोजेक्ट की गुणवत्ता और प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
हैरत की बात यह है कि अभी अस्पताल का निर्माण पूरा भी नहीं हुआ है, लेकिन दीवारें, फर्श और छत तक जगह-जगह से दरकने लगी हैं। निर्माण में कला ईंटों (सामान्य ईंट) का उपयोग किया जा रहा है, जो भारी संरचनाओं के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। विशेषज्ञों की मानें तो कमजोर नींव और घटिया सामग्री के इस्तेमाल से यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
स्थानीय जनता ने उठाए सवाल, प्रशासन चुप
स्थानीय निवासियों ने इस निर्माण को जनता की उम्मीदों से खिलवाड़ बताया है। उनका आरोप है कि ठेकेदार और निर्माण एजेंसी द्वारा घटिया सामग्री का प्रयोग कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।
जब अभी से दीवारें दरक रही हैं, तो सोचिए पांच साल बाद क्या स्थिति होगी? 52 करोड़ की लागत सिर्फ ईंट-सीमेंट में नहीं, हमारे स्वास्थ्य और भविष्य में लगी है।” — एक स्थानीय नागरिक
जिला प्रशासन और संबंधित विभाग इस पूरे मामले पर अब तक चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
बड़ा सवाल — इलाज करेगा या खुद इलाज का मोहताज होगा यह अस्पताल?
सरायकेला जिला पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहा है। ऐसे में यह नया अस्पताल लोगों के लिए आशा की किरण था। लेकिन निर्माण में बुनियादी खामियां उजागर होने से जनता की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
अब सवाल उठता है — क्या 52 करोड़ की यह परियोजना वास्तव में बीमारों का इलाज कर पाएगी या भविष्य में खुद ही किसी चिकित्सकीय हस्तक्षेप की मोहताज बन जाएगी?
जवाब का इंतजार…
हमारी टीम ने इस मामले में निर्माण कार्य से जुड़े अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग से संपर्क साधने की कोशिश की है। जैसे ही कोई अधिकृत प्रतिक्रिया प्राप्त होती है, हम इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे।
