नई दिल्ली।
आयकर वर्ष 2025–26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग जोरों पर है, लेकिन इस बार टैक्सपेयर्स को अपना रिफंड मिलने में देरी हो रही है। 75 लाख से अधिक रिटर्न अब तक दाखिल हो चुके हैं और उनमें से 71 लाख रिटर्न ई-वेरिफाई भी हो चुके हैं। इसके बावजूद आयकर विभाग ने फिलहाल ITR रिफंड जारी करने की प्रक्रिया को स्थगित कर रखा है।
रिफंड देरी की मुख्य वजह: पुराने ITR और असेसमेंट की जांच
इस बार आयकर विभाग रिफंड जारी करने से पहले पुराने रिटर्न्स और पेंडिंग असेसमेंट्स की गहन जांच कर रहा है। इसका उद्देश्य फर्जी रिफंड क्लेम्स को रोकना है। सीए सुरेश सुराणा बताते हैं कि विभाग को सख्त निर्देश दिए गए हैं—जब तक किसी करदाता के पुराने टैक्स मामले पूरी तरह से क्लोज नहीं होते, तब तक नए रिफंड जारी न किए जाएं।
“यह कदम टैक्सपेयर्स की ईमानदारी की सुरक्षा के लिए उठाया गया है, ताकि सिस्टम में कोई फर्जीवाड़ा न हो,” – सीए सुरेश सुराणा
फाइलिंग में हुई देरी, लेकिन टैक्सपेयर्स दिखा रहे हैं सक्रियता
इस साल ITR फाइलिंग की प्रक्रिया मई 2025 के आखिर में शुरू हुई, जो सामान्य समय से करीब एक महीना देर से थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में करदाताओं ने समय रहते रिटर्न फाइल कर दिया है।
ईमानदार टैक्सपेयर्स को हो रही है परेशानी
रिफंड प्रक्रिया की देरी से उन टैक्सपेयर्स को असुविधा हो सकती है जो हर साल समय पर ITR फाइल करते हैं और जिन पर कोई टैक्स विवाद लंबित नहीं है। एक वरिष्ठ टैक्स सलाहकार का कहना है कि विभाग को एक पारदर्शी ट्रैकिंग सिस्टम तैयार करना चाहिए, जिससे टैक्सपेयर्स को पता चल सके कि उनका रिफंड किस चरण में है और कितने दिन और लग सकते हैं।
✅ टैक्सपेयर्स के लिए सलाह: घबराएं नहीं, करें ये काम
अगर आपने सही विवरण के साथ रिटर्न फाइल किया है, तो रिफंड ज़रूर मिलेगा, भले ही इसमें कुछ समय लगे।
रिफंड स्टेटस समय-समय पर चेक करते रहें।
पुराने नोटिस या असेसमेंट मामलों की स्थिति भी जांचें और यदि कोई लंबित हो, तो उसका समाधान करें।
📆 रिटर्न फाइलिंग की डेडलाइन बढ़ी, करें इसका सही इस्तेमाल
आयकर विभाग ने रिटर्न फाइलिंग की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी है। यानी नॉन-ऑडिट कैटेगरी के टैक्सपेयर्स के पास अब अतिरिक्त 46 दिन हैं। इस समय का इस्तेमाल दस्तावेज़ों की समीक्षा और पुराने मामलों के समाधान में किया जा सकता है।
थोड़ा इंतजार, लेकिन सही दिशा में कदम
रिफंड में हो रही देरी जरूर टैक्सपेयर्स को चिंता में डाल सकती है, लेकिन विभाग की यह सख्ती फर्जी दावों को रोकने के लिए आवश्यक है। आवश्यकता है कि विभाग ईमानदार टैक्सपेयर्स को प्रक्रिया की पारदर्शिता और रिफंड ट्रैकिंग की सुविधा उपलब्ध कराए।
