Jamshedpur : बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति के खिलाफ लड़ाई में शिक्षकों की भूमिका को सशक्त करने के उद्देश्य से सोमवार को पोटका प्रखंड के तेंतला स्थित इम्पीरियल रिसॉर्ट में ‘युवा’ संस्था और गर्ल्स फर्स्ट फंड (GFF) के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय प्रखंड स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षकों को इस अभियान का सक्रिय भागीदार बनाना और यह सुनिश्चित करना था कि वे बच्चों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन भी करें।
कार्यक्रम का संचालन युवा संस्था के संस्थापक अरविंद तिवारी ने किया। उन्होंने कहा कि “बाल विवाह को रोकने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। वे बच्चों और अभिभावकों दोनों तक प्रभावी ढंग से पहुँच रखते हैं।”
संस्था की विकास यात्रा साझा की गई
संस्था की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती ने ‘युवा’ की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा को साझा करते हुए बताया कि यह संस्था एक छोटे पुस्तकालय से शुरू होकर आज महिलाओं, किशोरियों और विकलांग महिलाओं के अधिकार, नेतृत्व विकास व ग्राम सभा सशक्तिकरण जैसे विषयों पर कार्य कर रही है।
उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से संस्था की प्रमुख गतिविधियों और उपलब्धियों को भी प्रस्तुत किया।
शिक्षकों ने रखे व्यावहारिक सुझाव
कार्यशाला में विभिन्न स्कूलों से आए शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए और कई व्यावहारिक सुझाव भी रखे:
वीर प्रताप मुर्मू (नागा स्कूल): “ग्राम प्रधान यदि कानूनन उम्र से कम बच्चों के विवाह को मान्यता न दें, तो आदिवासी समुदाय में बाल विवाह की घटनाओं में कमी आ सकती है।”
हरीशंकर आलोक (शिलिंग स्कूल): “यदि युवा संस्था महीने में एक बार स्कूलों में बच्चों से संवाद करे, तो वे जागरूक हो सकेंगे।”
एस. के. अरशद (हल्दीपोखर स्कूल): “समाज पहले विरोध करता है, लेकिन बाद में सकारात्मक परिणाम देखकर सराहना भी करता है। लड़कियों की शिक्षा ही समाधान है।”
संजय केसरी (खैरपाल): “अभिभावक बेटियों की सुरक्षा को लेकर जल्दी विवाह कर देते हैं, इस सोच को बदलना जरूरी है।”
प्रमोद कुमार (पावरू स्कूल): “एक बाल विवाह को रोकने पर शुरुआत में गांव वालों ने दुश्मन समझा, लेकिन बाद में लड़की की पढ़ाई और प्रगति देखकर सराहना की गई।”
कार्यक्रम के अंत में प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर चांदमनी सवैया ने सभी प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया और शिक्षकों द्वारा दिए गए सुझावों की सराहना की। कार्यशाला को सफल बनाने में अवंति सरदार, रीला सरदार और किरण सरदार का विशेष सहयोग रहा।
