Jamsshedpur : दिशोम जाहेरथान, करनडीह में माझी परगना महाल, जुगसलाई तोरोप के पारंपरिक माझी-बाबा, पारानिक, गोडेत और पंचायत जनप्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता रस्सी परगना बाबा दशमत हसदा ने की।

बैठक में मुख्य रूप से जमशेदपुर में नगर निगम विस्तार योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किए जाने के जिला प्रशासन के प्रस्ताव का तीव्र विरोध किया गया। वक्ताओं ने इसे संविधान और आदिवासी अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए सख्त आपत्ति दर्ज की। साथ ही सारना धर्म कोड को मान्यता देने और झारखंड में पेसा कानून को लागू करने की मांग दोहराई गई।

संविधान विरोधी है नगर निगम प्रस्ताव
पारगना बाबा दशमत हसदा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-ZC के अनुसार, पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम या नगरपालिका की स्थापना असंवैधानिक है। आदिवासी समाज की पारंपरिक स्वशासन प्रणाली जल, जंगल और जमीन पर सामूहिक अधिकार के सिद्धांतों पर आधारित है।
उन्होंने चेतावनी दी कि नगर निगम बनने से न केवल आदिवासियों की पहचान और संस्कृति पर खतरा मंडराएगा, बल्कि पारंपरिक न्याय और प्रशासनिक व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी। नगर निगम के तहत भारी कर वसूली का दबाव होगा जिससे आदिवासी अपनी जमीनें बेचने और पलायन के लिए विवश होंगे।

यह भूमि हड़पने की साजिश है
बैठक में वक्ताओं ने नगर निगम योजना को एक सुनियोजित साजिश बताया, जिसका उद्देश्य आदिवासियों को उनके भूमि अधिकार से वंचित कर औद्योगिक और निजी हितों को बढ़ावा देना है।
मुखिया संघ, जमशेदपुर के महासचिव श्री कान्हू मुर्मू ने कहा, “पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में नगर निगम गठन का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। यह हमारी अस्मिता, संस्कृति और अधिकारों की लड़ाई है।”
तीन प्रमुख मांगें और धरने की घोषणा:
बैठक में माझी परगना महाल की ओर से निम्नलिखित मांगें रखी गईं:
1. जमशेदपुर नगर निगम विस्तार योजना पर अविलंब रोक लगे और इसे रद्द किया जाए।
2. केंद्र सरकार सारना धर्म कोड को मान्यता दे।
3. झारखंड सरकार पेसा कानून को तुरंत लागू करे।

इन मांगों को लेकर 10 जून 2025 को उपायुक्त कार्यालय, जमशेदपुर के समक्ष एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम की तैयारी जोर-शोर से प्रारंभ हो चुकी है। बैठक में धाड़ दिशोम देश पारानिक बाबा दुर्गा चरण मुर्मू, मुखिया संघ महासचिव कान्हू मुर्मू, माझी बाबा रमेश मुर्मू, सुखराम किस्कू, रेन्टा सोरेन, लेदेम मुर्मू, दीपक मुर्मू, साहिल सोरेन, सुरेश हांसदा, कृष्णा मुर्मू, सरस्वती टुडू, कालिदास टुडू, पोनो मुर्मू, जोबा मार्डी, डॉ. हांसदा सहित अनेक समाज प्रतिनिधि मौजूद थे।