New Delhi : दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को जाट समुदाय को आरक्षण देने का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उन्होंने बीजेपी पर जाट समाज के साथ “10 साल से धोखा” करने का आरोप लगाते हुए इस समुदाय के अधिकारों की लड़ाई लड़ने का संकल्प जताया। केजरीवाल ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, “जाट समाज ने हमेशा देश के विकास में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन पिछले 10 वर्षों से बीजेपी ने इस समाज को केवल झूठे वादों और आश्वासनों में उलझा रखा है। दिल्ली के जाट समाज को आरक्षण का जो अधिकार है, वह उन्हें मिलना चाहिए।”
बीजेपी पर तीखे आरोप
केजरीवाल ने अपने संबोधन में यह भी आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार जाट समाज की जरूरतों और समस्याओं को नज़रअंदाज करती रही है। उन्होंने कहा, “जाट समाज को बीजेपी ने केवल वोट बैंक समझा है। आरक्षण का वादा किया, लेकिन जब देने की बारी आई, तो मुंह फेर लिया। यह समाज के साथ विश्वासघात है।”
जाट समाज के प्रति आप की प्रतिबद्धता
केजरीवाल ने दिल्ली सरकार के दौरान अपने किए कार्यों का जिक्र करते हुए दावा किया कि उनकी पार्टी ने हमेशा सभी वर्गों और समुदायों के विकास के लिए काम किया है। उन्होंने जाट समुदाय से वादा किया कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को मजबूती से उठाएगी और आरक्षण दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
चुनावी समीकरण और जाट समुदाय
विशेषज्ञों का मानना है कि जाट आरक्षण का मुद्दा आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है। दिल्ली और हरियाणा जैसे क्षेत्रों में जाट समुदाय का प्रभावी वोट बैंक है, और इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी से सियासी गर्मी बढ़ने की संभावना है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
इस बीच, बीजेपी ने केजरीवाल के आरोपों को खारिज करते हुए इसे “चुनावी हथकंडा” करार दिया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “आप केवल चुनावी मौसम में ऐसे मुद्दे उठाती है। बीजेपी ने हमेशा सभी समुदायों के कल्याण के लिए काम किया है। जाट आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक बहस के केंद्र में है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह सियासी दांव-पेंच किस दिशा में जाता है और जाट समाज को आरक्षण का समाधान कब और कैसे मिलता है।