ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के तहत चांडिल आरपीएफ की तत्परता से बचाई गई बच्चों की ज़िंदगी
जमशेदपुर।
दक्षिण पूर्व रेलवे के आद्रा मंडल अंतर्गत चांडिल आरपीएफ पोस्ट द्वारा ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते अभियान के तहत पुरुषोत्तम एक्सप्रेस (12802) से रेस्क्यू किए गए तीन नाबालिग बच्चों को आज बाल कल्याण समिति (CWC) सरायकेला ने उनके माता-पिता को सौंप दिया।



यह रेस्क्यू अभियान शुक्रवार को चलाया गया था, जब तीन नाबालिग बच्चे बिना किसी जानकारी के गिरिडीह से विशाखापत्तनम की ओर काम की तलाश में जा रहे थे। लेकिन उनकी यात्रा पूरी होने से पहले ही चांडिल रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ ने उन्हें पकड़ लिया।
बाल गृह में ठहराया गया, फिर किया पुनर्मिलन
रेस्क्यू के बाद, तीनों बच्चों को कानूनी प्रक्रिया के तहत सीडब्ल्यूसी सरायकेला के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति ने उन्हें जमशेदपुर स्थित बाल गृह घाघीडीह में अस्थायी रूप से आवासित कर दिया और साथ ही परिजनों को सूचना भी दी।
सूचना पाकर बच्चों के माता-पिता गिरिडीह से जमशेदपुर पहुंचे, जहां सीडब्ल्यूसी सदस्य सैयद आयाज़ हैदर ने दस्तावेजों और अन्य औपचारिक जांच के बाद बच्चों को उनके माता-पिता के हवाले कर दिया।
सुरक्षा और मानवता की मिसाल
इस घटनाक्रम ने न सिर्फ आरपीएफ की सतर्कता और कर्तव्यनिष्ठा को रेखांकित किया है, बल्कि समाज के कमजोर वर्ग के प्रति सरकारी तंत्र की संवेदनशीलता का परिचय भी दिया है।
रेस्क्यू का उद्देश्य और महत्त्व
“ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते” भारतीय रेलवे की एक विशेष पहल है, जिसका उद्देश्य रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में लावारिस या लापता बच्चों को रेस्क्यू कर उन्हें सुरक्षित माहौल में वापस लाना है।