जमशेदपुर। एमजीएम अस्पताल में लापरवाही के कारण हुई तीन मरीजों की मौत के बाद झारखंड की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है। जहां एक ओर इस हादसे से राज्यभर में शोक और आक्रोश का माहौल है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के बयान ने विवाद को और भड़का दिया है। मंत्री ने एक टीवी चैनल को दिए बयान में जमशेदपुर पूर्वी की विधायक पूर्णिमा साहू पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी, जिसके बाद भाजपा नेताओं ने कड़ा रुख अपनाया है।
“चेहरे पर केक था”, मंत्री का गैरजिम्मेदाराना बयान
मंत्री इरफान अंसारी ने विधायक पूर्णिमा साहू को लेकर कहा कि जब वह अस्पताल पहुंचीं तो उनके चेहरे पर “केक लगा हुआ था”। इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। भाजपा इसे महिलाओं का अपमान और मृतकों के परिजनों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बता रही है।



गुंजन यादव का तीखा प्रहार: मंत्री की बेशर्मी और बड़बोलापन हादसे का कारण
भाजपा जमशेदपुर महानगर के पूर्व अध्यक्ष एवं विधायक प्रतिनिधि गुंजन यादव ने मंत्री के बयान को “संवेदनहीन और बेशर्म” बताया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री की लापरवाही, अक्षमता और बड़बोलेपन की कीमत तीन गरीब मरीजों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री ने न तो संवेदना जताई और न ही अब तक कोई जवाबदेही दिखाई, उल्टा महिला विधायक पर ओछी टिप्पणी कर अपनी सोच जाहिर कर दी।
डिमना अस्पताल की स्थिति पर उठाए सवाल
गुंजन यादव ने कहा कि डिमना स्थित नए एमजीएम अस्पताल भवन का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार में शुरू हुआ था। भूमि अधिग्रहण से लेकर निर्माण एजेंसी एलएनटी तक की नियुक्ति भाजपा सरकार के समय हुई। लेकिन हेमंत सरकार ने अधूरी इमारत का उद्घाटन कर सिर्फ सस्ती वाहवाही लूटने की कोशिश की। आज अस्पताल में न ऑक्सीजन प्लांट, न ब्लड बैंक, न ऑपरेशन थिएटर है। पानी की कमी और कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
“पांच महीने में मंत्री ने क्या किया?”
गुंजन यादव ने कहा कि इरफान अंसारी को खुद से सवाल पूछना चाहिए कि उन्होंने अपने पांच महीने के कार्यकाल में अस्पताल के लिए क्या किया? अगर वे गंभीर होते, तो शायद यह हादसा रोका जा सकता था। लेकिन वे भाजपा को कोसने और मीडिया में चेहरा चमकाने में व्यस्त हैं।
भाजपा की मांग: मंत्री माफी मांगें या बर्खास्त हों
गुंजन यादव ने कहा कि मंत्री को तुरंत महिला विधायक से माफी मांगनी चाहिए और एमजीएम अस्पताल हादसे की उच्चस्तरीय जांच करवानी चाहिए। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की कि ऐसे नाकारा, अक्षम और बड़बोले मंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर करें, जो ना सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभा पा रहा है बल्कि पीड़ितों का उपहास कर रहा है।